Gulzar sahab shayari ~ chhattisgarhi love मया ओला खुद खोज लेथे

MY CG LINE
0

Gulzar sahab shayari ~ chhattisgarhi love मया ओला खुद खोज लेथे


हमने गुलजार साहब की कुछ शायरी ले कर आप सभी के लिए लेकर आया हु। गुलजार साहब प्रसिद्ध लेखक है उनके द्वारा लिखी गई गजल, शायरी सभी के दिल को छू जाती है ऐसे ही कुछ लोकप्रिय,दिल को छू जाने वाली शायरी इक्कठा कर के आप सभी के लिए लाया हु जो आप सभी को बहुत पसंद आएगी।

Gulzal sahab shayari in chhattisgarhi


Gulazar shahab in cg shayari
Gulzar sahab shayari 



मया ला खोजे बर का बर निकल थस
मया ओला खुद खोज लेथे
जेन ला बर्बाद करना रीथे...।

दौलत शोहरत तोर ले कुछु नई मांगव
कईसे हस ए दु शब्द के परवाह में मांगव...।

वो संगी जेन कभु मोर रीहिस ही नई हे
वो मोला कोनो दूसरा के घलो होन नई दिस...।

कभू जिनगी एक पल म गुजर जथे
ता कभू जिनगी के एक पल घलो नई कटय...।


Gulazar shahab shayari
Gulzar sahab shayari 


जेन दिन ते राहत रेहेस आंखी म अंजोर राहत रीहिस
अब अब्बड जाला हे अऊ यहु जाहु कहत हे...।

आंखी ले पानी बोहावत हे ता बोहावन दे
कोनो पुराना दिन याद आगे...।

मिलथे अब्बड़ अकन जिनगी ले 
बस ह मन गीनथन उही ला
जेला ह मन पा नई सकन...।

>>>>>>Chhattisgarhi mya shayari<<<<<<<

Gulazar shahab love shayari
छत्तीसगढ़ी मया शायरी 


जब ले तोर नाव के मिसरी होठ लगाई है
मीठा मीठा गम हे अऊ मीठी तन्हाई है...।

उतरत हस की चडहत हस
या फेर मोर मुस्किल ला ते पढ़हत हस...।

वक्त घलो कोनो करा टीक के नई रहय
एकरो आदत घलो आदमी जईसे होगे हे...।

तोर बाद घलो हर घड़ी मेहा 
तोरेच संग गुजरे हव...।

अब्बड़ अंदर ले जला देथे 
वो शिकायत ह जेन कभी बताए नई जाए...।



Gulazar shahab shayari
Gulazar shahab shayari 


में ओला धीरे ले पुछेव " मया करे लग गेस का"
ओ आंखी ला झुका के बोलीस "अब्बड करथव"

सहम गे मोर सपना ह
शायद जरूरत ह ओकर 
ऊपर जोर से चिल्लाय हाेही...।

सब कहीथे की खुश रहो...
फेर कोनो खुश देख घलो नई सकय...।

>>>Gulzar sahab ki chhattisgarhi shayari <<<
Gulazar shahab shayari
Gulzar sahab Cg shayari


कोनो पुछ ही मोला तोर जिनगी के कीमत का हे
मोला याद आईस तोर मुच ले हसना...।


का मोर गलती हे साबित कर के देखा
अगर में बुरा हव तेला साबित कर के देखा
तोला कतना मया कर थव तेला ते का जानबे
चल बेवफा ही सही
तै अपन मया साबित  कर के तो देखा...।


मोला अतना का बर दिखावत हस ए जिनगी
कोन से मार इहा सदिया बीताय बर आय हव...।

में वइसे का बर बनो जईसे ते चाहथस
मोला तै का बर नई अपनावस जईसे में हवव...।

पीरा घलो अपने आप कम होगे
जब सपना ले उम्मीद कम होगे...।


Not:- hey friends आपको हमारी गुलजार साहब की छतीसगढ़ी शायरी कलेक्शन आपको कैसा लगा। गुलजार साहब की शायरी को हमने छतीसगढ़ी में ट्रांसलेट की छोटी सी कोशिश की है यह आपको कैसा लगा कॉमेंट करके जरूर बताए।दोस्तो कॉमेंट जरूर करिए आपके कॉमेंट से ही मुझे मोटिवेशन मिलता है।

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Out
Accept !
To Top